मैंने एक बड़े चौराहे पर नागरिकों और सैन्य कर्मियों की एक बड़ी भीड़ को एक दूसरे के सामने नहीं, बल्कि एक दूसरे के बगल में खड़े देखा, जो एक क्रांति जैसा लग रहा था। तभी मुझे दीवार पर टंगी एक दीवार घड़ी दिखाई दी। मुझे उसका रंग याद नहीं, न ही उसकी सुइयाँ किस ओर इशारा कर रही थीं। इसलिए मैंने उसके ऊपर लिख दिया, "ईश्वर महान है।"